संतान गणपति स्तोत्र से सन्तान की प्राप्ति
विवाह के बाद नवदम्पती पर सुन्दर अौर स्वस्थ संतान को जन्म देने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है। कई बार किसी प्रकार की समस्या के कारण दम्पती को सन्तान सुरव की प्राप्ति नहीं होती है तो घर परिवार मे भी अनेक प्रकार की समस्याओं का उदय होनें लगता है। समस्या के निराकाण के लिए भाद्रपद माह या माघ माह के शुक्ल पक्ष की श्री गणेश चतुर्थी को फलाहारी रहकर शुभ मुहुर्त में गणपति और सिद्ध गणेश यंत्र की स्थापना का स्वयं कुश या उन अथवा कम्बल के आसन उक्सतराभिमुख (उत्तर दिशा की ओर मुँह करके) बैठ जाए। किसी योग्य ब्राह्मण से गणपति जी और सिद्ध गणेश यंत्र का पूजन कराकर सन्तान प्राप्तयर्थे (सन्तान प्राप्ति के लिए) जितनी संख्या (1, 5, 11 या 2) में पाठ करना हो उतनें पाठ का संकल्प कराएँ। पाठ की जितनी अधिक संख्या में पाठ करेंगें लाभ उतना ही जल्दी प्राप्त हाेगा। स्तोत्र पाठ के बाद "ऊँ गं गणपतये नम: " मंत्र की 11, 5, 3 या 1 माला का जाप करें। प्रतिदिन चन्द्रमा को जल से अर्घ्य देकर गणपति जी और चन्द्रमा को लड्डूओं का नैवैद्य लगाकर आरती करें। यदि कोई मनुष्य 21 दिन लगातार पाठ करता है, तो मन के अनुकुल संतान की प्राप्ति होती हैं। यदि कोई 21 दिन का लघु (छोटा) अनुष्ठान किसी कारण करनें में असमर्थ हो तो प्रति माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखकर उपरोक्त विधि से पूजन, पाठ जाप करना चाहिए। मनोंवांच्छित संतान प्राप्ति के लिए यह सरल और सफलता देनें वाला उपाय है। यह स्तोत्र सर्व सिद्धी प्रदायक (सभी कार्य सिद्ध करने वाला) है। पाठको को लाभ प्राप्त करने के लिए मैं यह स्तोत्र लिख रहा हूँ।संतान गणपति स्तोत्र
नमो$स्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरू दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गेाप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मनें।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिनें ।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम : ।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने ।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थ विरता : स्यु : वरो मत : ।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का प्रयोग करने से सन्तान सुख की अवश्य प्राति होती है। जिन्हें कन्या रत्न है अौर पुत्र रत्न नही है तो उपरोक्त विधि से स्तोत्र का प्रयोग करनें से पुत्र रत्न की प्राप्ति हो जाती है। पुत्र प्राप्ति के लिए संकला में पुत्र संतति प्राप्तर्थे (पुत्र संतान प्राप्ति के लिए) का प्रयोग करनें से अवश्य लाभ होगा।
5 टिप्पणियाँ
Write टिप्पणियाँपुत्र प्राप्ति के लिए संकला में पुत्र संतति प्राप्त र्थे बोलने का मतलब प्रत्येक लाइन के बाद बोलना है या सबसे आखिर में बोलना है।
ReplyTumhare jaise log hi es desh me women molestation ke liye responsible hai tum log dharm ka chola odhkar na sirf logo ko brahamit karte ho balki adharmik kritya bhi karte ho.logo ki mentality sirf tum jaise ghatiya logo ki wajah se nahi badalti hai
ReplyKya ye magh ya bhadrapad me hi Suru karna he
ReplyEveryone want girl or boy child, so they can complete thier family.
ReplyThanks for sharing
Sankala ka mtlb Kya h?
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