कुम्भ स्नान का फल अपने निवास स्थान से कैसे प्राप्त करें?

शुक्रवार, फ़रवरी 12, 2016 0 Comments A+ a-

पिछले आर्टिकल्स में मैंने कुम्भ स्नान की परम्परा अौर महत्व और अर्ध कुम्भ की परम्परा अौर महत्व में बताया था, जो धर्म परायण व्यक्ति, श्रद्धालु भक्त किसी कारण जैसे पारिवारिक कारण, व्यवसायिक कारण या आर्थिक कारण अथवा समय के आभाव से सिंहस्थ (कुम्भ) महापर्व पर उज्जैन नही जा सकते या अर्धकुम्भ पर्व पर हरिद्वार नही जा सकते वे अपने निवास स्थान पर उक्तपर्वो का स्नान एवं पुण्य लाभनिम्नविधि से प्राप्त कर सकते हैं। पाठको के लाभ के लिए मैं वह स्नान, पूजन अौर दान विधि लिख रहा हूँ , अगर पाठक गण स्वयं कुम्भ महापर्व याअर्धकुम्भ पर्व पर नही जा सकते या कोई रिश्तेदार अथवा परिचित नही जा सकते उन्हें मेरे द्वारा बताई विधि बताकर उनके साथ आप भी पुण्य लाभ के भागी बनें ऐसी मैं आशा करता हूं।


सर्व प्रथम व्यक्ति यह निर्णय करें कि उसे कौन से (अर्ध कुम्भ या कुम्भ महापर्व) स्नान का पुण्य लाभ के फल को प्राप्त करना है। जिस पर्व (अर्ध कुम्भ या कुम्भ पर्व) के स्नान, दान आदि का फल प्राप्त करना हों उस पर्व की स्नान तिथि को अपने निवास स्थान के पास कोई नदी, तालाब, कुआ, बावड़ी या समुद्र हो जिसके किनारे या पास कोई शिवजी का मन्दिर हो ऐसे स्थान पर अरूणोदय (सुर्योदय से लगभग सवा घंटे पहले से सुर्योदय तक) काल में नदी, कुआं आदि हो वहाँ पर कुम्भ या अर्धकुम्भ के स्थान की पवित्र पावनी नदी का ध्यान लगाकर मन से श्रद्वा पूर्वक आहवान (आमंत्रित ) करें, पूजन कर स्नान कर शिव जी के पंचाक्षरी या अौर कोई शिव मंत्र का जाप करें यदि आपके निवास स्थान के पास कोई नदी, तालाब, कुआंआदि उपलब्ध ना हों तो अपने घर के स्नानागार (स्नान करनें का स्थान) में बाल्टी या टब या स्नान पात्र में गंगाजी या क्षिप्राजी का जल डालकर उपर बताई विधि से प्रार्थना, पूजन और स्नान कर जाप करके किसी योग्य विद्वान ब्राम्हण से गणेश, अम्बिका आदि देवी देवताओं का पूजन कर कुम्भ (कलश) की स्थापना कर षोडशोपचार (सोलह उपचार) से पूजन करें, शिव पार्वती जी का पूजन अभिषेक करें, अपनी शक्ति के अनुसार सेाना, चाँदी, ताँबा या पीतल के एक, चार, ग्यारह जितने हो सके उतनें कलशों को शुद्ध घी से पूरा भरकर पूजन कर वस्त्र, मिष्ठान्न (मिठाई), फल दक्षिणा सहित संकल्प कराकर ब्राम्हणों को दान करें ।

इस प्रकार से स्नान, पूजन और दान आदि करने से कुम्भ महापर्व या अर्ध कुम्भपर्व के पुण्य लाभ का फल मिलता हैं ।